Education Technology Politics Entertainment other

Breaking News

Road to 2024: BJP sheds silence on caste census issue, as Oppn makes itself heard

दिल्ली-एनसीआर वायु प्रदूषण समाचार: स्कूलों को 10 नवंबर तक शारीरिक कक्षाएं निलंबित करने को कहा गया

पटना में सीपीआई की रैली में नीतीश कुमार ने भारत के लिए कांग्रेस को ठहराया जिम्मेदार..

महुआ मोइत्रा के आरोप के बाद निशिकांत दुबे की प्रतिक्रिया: '...विनोद सोनकर को गाली दी गई, बिहारी गुंडा कहा गया'

इज़राइल-हमास युद्ध: इज़राइल ने हमास द्वारा बंधक बनाए गए लोगों को मुक्त कराया, 'युद्ध' शुरू होने के बाद पहला बचाव

आपातकाल (1975-77): भारत में लोकतंत्र की सबसे कठिन घड़ी

1975-77 का आपातकाल भारतीय इतिहास में एक अवसादनकाल था जब लोकतंत्र और न्याय की मौन विधिवत्ता हुई। इस लेख में हम इस अध्याय के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्टि, कारगर घटनाएँ, और उनके परिणामों का विश्लेषण करेंगे।

26/10/2023

posted by saurabhyadav

1975 में भारत की राजधानी दिल्ली में एक अवसादनकाल का आलम था। इस वक्त को आपातकाल कहा जाता है। यह एक दूषित घड़ी थी जब लोकतंत्र और न्याय की मूर्त तस्वीर को छूने की कोशिश की गई। इसके प्रेरणास्त्रोत को विचारशीलता और जनकल्याण समझा गया, लेकिन वास्तविकता यह थी कि यह एक राजनीतिक विनाशकारी कदम था।

इस आपातकाल के आगमन के पीछे विभिन्न कारण थे। राजनीतिक दलों के आम्ले, अर्थव्यवस्था की कमजोरी, और विभिन्न सामाजिक और आर्थिक समस्याओं के बीच विवाद थे। इस अधियादनकाल में, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने विशेष अधिकारों का आरंभ किया, जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न स्वतंत्रता और न्याय अधिकारों को समाप्त किया गया।

यह आपातकाल न केवल संविधानिक स्वतंत्रता को हानि पहुंचाई, बल्कि विचारकों, पत्रकारों, और सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी निशाना बनाया। विशेष रूप से, मीडिया पर निगरानी और रोक लगाने के लिए कई प्रतिबंधन लगाए गए थे।

इसके परिणामस्वरूप, भारतीय जनता ने एक विरोध आंदोलन चालू किया और आपातकाल के खिलाफ विरोध किया। 1977 में नई चुनौती का सामना करते हुए, भारत ने एक नया राष्ट्रपति और सरकार का चयन किया।

आपातकाल (1975-77) भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय था जिसमें लोकतंत्र और न्याय की मौन विधिवत्ता हुई। यह घड़ी भारतीय जनता के लिए एक अज्ञातता की घड़ी थी और यह बताने का प्रयास करती है कि लोकतंत्र की मौन विधिवत्ता के बीच भारत कैसे एक अद्वितीय संघर्ष से गुजरा।

सूचना-आपातकाल 1975-77: भारत के इतिहास में एक अधिकार संकट

सूचना-आपातकाल 1975-77 एक ऐतिहासिक घटना थी जो भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इस लेख में, हम इस आपातकाल के दौरान घटित घटनाओं की विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे, उसके प्रभावों को विचार करेंगे और यह जानेंगे कि यह इतिहास में कैसे दर्जनीय एक घटना थी।

सूचना-आपातकाल 1975-77 क्या था?

सूचना-आपातकाल 1975-77, जिसे भारतीय इतिहास में आपातकाल के रूप में जाना जाता है, एक दयभाग्यपूर्ण समय था जब भारतीय सरकार द्वारा जनता के मौद्रिक अधिकारों को खत्म किया गया था। इस आपातकाल के दौरान, भारत में बुनादी रूप से लोकतंत्रिक व्यवस्था को दबाया गया था, संघर्ष की आवश्यकता बना दी गई थी और विभिन्न आपातकाल कानून लागू किए गए थे।

आपातकाल क्यों लगाया गया?

सूचना-आपातकाल का प्रमुख कारण था राजा फीरोज शाह कोल्हू के आलासनागर पुनर्निर्वाचन में हार का डर। उनके समर्थनकर्ता और विपक्षी दलों के बीच विवाद और उत्तेजना के माहौल में सरकार ने आपातकाल लागू किया। इसके साथ ही, सरकार का आराजकीय दबाव, मीडिया पर प्रतिबंध, और निर्वाचनों की स्थगितता की घोषणा की गई। इससे प्रभावित होकर विपक्षी दलों, पत्रकारों, और सामाजिक गतिविधियों के सदस्यों को आपातकाल विरोधी बनाया गया।

आपातकाल के दौरान घटित घटनाएँ

सूचना-आपातकाल के दौरान भारत में कई महत्वपूर्ण घटनाएँ घटित हुईं। इनमें से कुछ मुख्य घटनाएँ निम्नलिखित हैं:

  1. अगस्त कृष्ण द्वितीय का आत्मदाह: आपातकाल के प्रारंभ के दिनों, केजरीवाल के विरोध के प्रतीक रूप में अगस्त कृष्ण द्वितीय ने आत्मदाह कर लिया।

  2. पत्रकारों की गिरफ्तारी: कई पत्रकारों को सूचना-आपातकाल के दौरान गिरफ्तार किया गया था, और उनके खिलाफ कई मुकदमे दर्ज किए गए थे।

  3. अन्ना हजारे की सत्याग्रह: अन्ना हजारे ने सूचना-आपातकाल के खिलाफ सत्याग्रह आरंभ किया था, जिससे उन्होंने आपातकाल की बर्खास्तगी की मांग की और यह आंदोलन बहुत लोकप्रिय हुआ था।

  4. विपक्ष के विरोध और आंदोलन: सूचना-आपातकाल के दौरान विपक्षी दलों और आंदोलनकारियों ने सरकार के खिलाफ उठाया आवाज़, और यहाँ तक कि वो आपातकाल के खिलाफ नारे भी देते थे।

सूचना-आपातकाल के प्रभाव

सूचना-आपातकाल के दौरान भारत में सरकार का प्रबल नियंत्रण था, और इसके प्रभाव लोगों के जीवन पर महसूस हुए। प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगा दिया गया, जिससे पत्रकारों को सीने पर पकड़कर काम करना पड़ा। विपक्षी दलों के नेता और सदस्य गिरफ्तार किए गए, और उन्हें बाजीगरी के आरोप में जेल में भेजा गया।

सूचना-आपातकाल के दौरान विगत समय की तरह स्वतंत्रता का सम्पूर्ण विरोध नहीं था, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण दौर था जिसका भारतीय लोकतंत्र में महत्वपूर्ण स्थान है। सूचना-आपातकाल के बाद, लोगों की आंदोलन भावना और लोकतंत्र के प्रति निष्ठा बढ़ी, और सामाजिक न्याय और स्वतंत्रता की ओर एक नई दिशा मिली।

मीडिया की निगरानी और प्रतिबंधन: आपातकाल के दौरान, मीडिया पर विशेष निगरानी और प्रतिबंधन लगाए गए थे। पत्रकारों और विचारकों को विस्तार से निगरानी में रखने के लिए प्रतिबंधन लगाए गए थे, जिससे स्वतंत्रता और न्याय के खिलाफ विरोध की कोई आवाज उठने का सुझाव नहीं किया जा सकता था।

प्रभाव: आपातकाल के बाद, भारतीय जनता ने एक विरोध आंदोलन चालू किया और इसके प्रतिष्ठान में एक नई सरकार का चयन किया। इससे एक नई पार्लियामेंटरी सिस्टम की शुरुआत हुई और लोकतंत्र और न्याय की मूर्तता को पुनर्विवादित किया गया।

आपातकाल के परिप्रेक्ष्य में: आपातकाल के आगमन के पीछे विभिन्न कारण थे। इसके पिछले दशकों में राजनीतिक दलों के आम्ले और संघर्षों का दौर था। भारतीय अर्थव्यवस्था अस्थिर थी, और समाज में आर्थिक और सामाजिक समस्याएं उभर रही थीं। यह आपातकाल के आगमन के प्रमुख कारण थे।

आपातकाल के दौरान, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने विशेष अधिकारों का आरंभ किया। इसके परिणामस्वरूप विभिन्न स्वतंत्रता और न्याय अधिकारों को समाप्त किया गया, और बेहद महत्वपूर्ण संसदीय और संविधानिक संरचनाओं को सस्पेंड किया गया।

 

 

Latest mews

The Drama in the Middle East A Closer Look at Country Wars. Understanding the Complex Dynamics of Middle Eastern Conflicts. sanskritisarita

07/11/2023

Posted by saurabhyadav

The Ultimate Guide to Digital Marketing: Courses, Profits, and Career Opportunities Components of Digital Marketing The importance of a website in the digital marketing landscape.Sanskritisarita news articles

04/11/2023

Posted by saurabhyadav

Becoming a Software Developer A Comprehensive Guide to Kickstart Your Career. Sanskritisarita news articles.

03/11/2023

Posted by saurabhyadav

Understanding the Zika Virus: Symptoms, Transmission, Prevention, and Current Research

02/11/2023

Posted by saurabhyadav

Countdown to ICC Men's Cricket World Cup 2023: A Global Spectacle of Cricket Excellence

28/10/2023

Posted by saurabhyadav

Online Education: Unveiling Its Pros and Cons Amid the COVID-19 Shift

28/10/2023

Posted by saurabhyadav